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Wednesday, December 29, 2010

CAMPUS PLACEMENT & BRIDE HUNT




       Few comparisons can be very hilarious. I think this should be one of them. There is lot of similarity between  “campus placement” and “शादी के लिए लड़की देख्नना” (or the ‘bride hunt’). It seems funny but its true. I have seen and observed both of them very closely and found some very glaring similarities. Lets have a look at them.
  • CAUTION- this is about the ‘bride-hunt’ in small towns and villages. I know nothing about the cities :-)                          
                Starting with the very beginning, there is usually a mediator (अगुआ) जो लड़की की तारीफ़ लड़के वालों के घर तक पहुचाते हैं और उन्हें लड़की वालो के घर आमंत्रित करते हैं. In case of campus placement, T & P is the mediator between the students and companies. We, the students, are the ‘bride’ and companies are “लड़कावाला”. जिसका अगुआ अच्छा रहा,उसे अच्छा घर मिल जाता है.वैसे ही, जिसका T&P अच्छा रहा,उसका अच्छा placement हो जाता है. जैसे लड़कीवाले पूरी तरह से लड़केवालों के मर्जी पे depend करते है,वैसे ही हमलोग companies के मर्जी पे depend करते है... जैसे कि लड़की को कहाँ  देखेंगे, किस तारीख को देखेंगे, ये सब लड़कोवालो पे depend करता है. लड़कीवालो को हमेशा तैयार रहना पड़ता है.वैसे ही, हमे हर वक्त तैयार रहना पड़ता है.चाहे वो हमे सुबह 6 बजे बुलाये या रात को 12 बजे,हमे तो हर वक्त exam या interview के लिए तैयार रहना पड़ता है.  हमे उनके सारे नखरे सहने पड़ते है.  जैसे “लड़केवाले” घर-घर घूमते रहते है और अपनी short-listing करते रहते है और लड़कियों को देख-देख के reject करते जाते है, वैसे ही companies भी campus-campus घूम के हम students को reject करते चलते है. Reject करने के भी बड़े-बड़े फंडे होते है.... लड़की की चाल पे सबकी नजर होती है कि लड़की ठीक से चल रही है या नहीं....कही वो थोड़ी लंगड़ा के तो नहीं चल रही है...वो सीधी चल रही है या नहीं...पीठ तो  नहीं झुकाती है....etc etc. वैसे ही, HRs हम पे नजर गड़ाए रहते है. जैसे ही हमारी entry होती है,उनकी नजरे हमारी चाल पे होती है कि कही कोई negativity तो नहीं है चाल में....confidence की कमी तो नहीं दिख रही है...etc. मतलब ये कि दोनों केस में चाल important होती है और दोनों केस यही से शुरू हो जाते है. उसके बाद दोनों में communication skill की जांच होती है...लड़की की आवाज़ कैसी है...वो तुतलाती तो नहीं है...बड़ों से लिहाज करती है या नहीं...उसी तरह...लड़के में confidence है या नहीं… English में fluent है या नहीं...उसमे courtesy है या नहीं etc. फिर छोटा सा written test  भी होता है कि लड़की सच में पढ़ना लिखना जानती है,और उसके certificates नकली नहीं है. वैसे ही, हमसे भी कुछ सवाल पूछे जाते है ताकि ये पता चले कि हमे सच में कुछ knowledge है या नहीं..... programming आती है या नहीं..... या यूँ ही time-pass करके degree ले रहे है. फिर हम से कुछ typical puzzle भी पूछे जाते है. “bride hunt” में भी कुछ typical puzzles होते है....sample this- “अगर किसी को घर से जल्दी निकलना है और उसे जल्दी-से-जल्दी नाश्ता बना के खिलाना है तो आप क्या बनायेंगी?” if you say bread or sandwich, most probably you will be rejected because that is not typically Indian and that is not पौष्टिक. I remember a girl who said- “रोटी-आलू का भुजिया” which was considered a correct answer, though लड़कावाला had better answer that “केला का भुजिया जल्दी बनता है” :-) :-) :-) . So there are the typical puzzles that both cases have. 

ओह, मैं तो सबसे important बात ही भूल गया था- DRESSING. लड़की has to look best that day. साड़ी तो लगभग जरूरी ही होता है ,जैसे हमारे लिए formal जरूरी होता है. लड़की को अच्छे make-up  में ही रहना होता है.हमे भी फ्रेश दिखना होता है, और वो भी shaved face के साथ. लड़कियों के पैरों पे खास ध्यान दिया जाता है.माना जाता है की अगर उसके पैर खूबसूरत और बेदाग़ है तो वो जरूर खूबसूरत और बेदाग़ होगी. (Main point is  दाग).उसी तरह हमारे जूते भी ध्यान देने लायक होते है.वो चमकने जरूर चाहिए.अगर वो नहीं चमक रहे है, मतलब candidate बिलकुल careless है.

और सबसे important बात – एक रिश्ता बनाने के लिए लड़की को कई जगह दिखाना पड़ता है, और हमे भी एक नौकरी के लिए कई companies में बैठना पड़ता है. and we both feel bad about rejection :-) :-) :-)